बचपन
कितना प्यारा था बचपन हमारा,
गुड्डे गुड़िया के संग था नाता प्यारा सा हमारा,
ऊच-नीच , जात-धर्म की ना थी समझ जब हमे,
दिन भर खेल खेल मे बीत जाता था वक़्त हमारा,
होती ना थी किसी...
गुड्डे गुड़िया के संग था नाता प्यारा सा हमारा,
ऊच-नीच , जात-धर्म की ना थी समझ जब हमे,
दिन भर खेल खेल मे बीत जाता था वक़्त हमारा,
होती ना थी किसी...