सुनो लहरो
देखो
सम्भल कर रहो तुम लहरो
ये जो मचलती ,इठलाती
रहती हो आती जाती
कभी यहां कभी वहां
छोड़ जाती हो जो खुद का अंश
रेत के...
सम्भल कर रहो तुम लहरो
ये जो मचलती ,इठलाती
रहती हो आती जाती
कभी यहां कभी वहां
छोड़ जाती हो जो खुद का अंश
रेत के...