चिंगारी
सो रही थी कलम कब से,मन्द पड़ने लगी इसकी धार थी
जब बुझने लगी चिंगारी,फिर मैंने लफ्ज़ को आग बनाया
कुछ अजीब सी इसकी रवायतें है,गज़ब से इसके असूल
जो न पा...
जब बुझने लगी चिंगारी,फिर मैंने लफ्ज़ को आग बनाया
कुछ अजीब सी इसकी रवायतें है,गज़ब से इसके असूल
जो न पा...