निःशब्द भावविभोर 🙏
तुम कोमल हृदय की स्वामिनी,
रचित गीत तुम मेरे लय में।
तुम मेरी पथिक मैं पथ हूँ,
अब तक थी तुम किस संसय में।
दो मूर्छित हृदय का मिलना,
पुनः एक स्नेहिल भाव का खिलना।
तेरी स्मरण में हर निशा,
मेरी हर उषा भी तुम से।
तुम कुमुद भवर मैं जिसका,
विषाद खिज़ा की है कुमकुम से।
तुम से ही हूँ मैं पराजित,
तुम ही हो मेरी हर जय में।
तुम कोमल हृदय की स्वामिनी,
रचित गीत तुम मेरे लय
महादेव🙏🙏
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