...

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🍂हकदार।
सच में शानदार थी वह
तुझे संवारने वाली
एक कलाकार थी वह,
बता बता एक बार बता
जो उसे तूने दिया
क्या उसकी हीं
हकदार थी वह।।
तेरी तलबगार थी वह
तुझे जान मानने की फ़ितरत
बस ऐसी जानदार थी वह
बता बता एक बार बता
जो तूने उसे दिया
क्या उसकी हीं
हकदार थी वह।।
हर पल दमदार थी वह
तेरी ठसक,तेरी धमक
की पल पल वफादार थी वह
बता बता एक बार बता
जो तूने उसे दिया
क्या उसकी हीं
हकदार थी वह।।
वह सूत्रधार थी,वह बहार थी
सजाई जगमग रंगोली
सहन में तेरे,
उसे सजाने की
आई बारी अब तेरी
फिर क्यूँ भटक रहा
किस बेबसी को गटकना चाह रहा
चल उन रंगों को सजा
क्योंकि जो तूने उसे दिया
हकदार उसकी
वह थी कभी नही
कभी नही।।
☘️राजीव जिया कुमार,
सासाराम,रोहतास,बिहार।






© rajiv kumar