...

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नयी राह नयी पनाह
उठ खड़ा हुआ मैं आज फिर से अपने वजूद में
बहुत जी लिया उसके लिए जो अपनी थी ही नहीं
अलग राह लेकर चल पड़ा फिर से जी रहा अब खुद में

न सुध उसने ली मेरी न परवाह उसे
मिल गयी कोई अपना नया पनाह उसे

गंभीर था उसे लेकर विश्वास और भरोसा था
हकीकत सामने आयी जब उसकी मैंने खुद को कोसा था

उठ खड़ा हुआ मैं आज फिर से अपने वजूद में
बहुत जी लिया उसके लिए जो अपनी थी ही नहीं
अलग राह लेकर चल पड़ा फिर से जी रहा अब खुद में


© 𝓴𝓾𝓵𝓭𝓮𝓮𝓹 𝓡𝓪𝓽𝓱𝓸𝓻𝓮