...

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ये ज़िंदगी...
छोटी छोटी सी खुशियाँ देखो
लगती कमाल ये ज़िंदगी
क्यों है लड़ना हर बात पर
थोड़ी ना कोई बवाल ये ज़िंदगी
निराशा तो तुम्हे खोज ही लेगी
उम्मीद की हर पल तलाश करो
फिर बन जाएगी ढाल ये ज़िंदगी
चार दिन का नहीं है सवाल ये ज़िंदगी
अभी तो बाकी है जाने खुशियाँ कितनी
मत समझो कि बेहाल है ज़िंदगी
जाने कितनों के आंचल ने सींचा इसको
किसी दुआ का ही कमाल ये ज़िंदगी...



© Gauri_68