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तसव्वुर
तसव्वुर यही है दिन रात

ऐसा आसमान मिले,

जहाँ मजबूरियाँ, बंदिशें

बन जाएँ कमल,

कीचड़ कितना भी हो,

मेरे सपने फूल बन के खिलें।


तसव्वुर यही है दिन रात है,

ख़ुद की शक्सियत निखार लूँ,

क्या पता फिर मौका हो के ना हो,

इंसानी जून सँवार लूँ।


तसव्वुर यही दिन रात है,

अपना छोटा सा आशियाना बनाऊँ,
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