...

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फिर आयेगा नया सवेरा
फिर आयेगा नया सवेरा
सारा जहां होगा तेरा।

आज तूफान बढा चढा है
दरिया मुंँह फाढे खडा है,
लहरें ज़रा थम जाने दो
नाव किनारे पे आने दो।
फिर लगायेंगे हम गोता
दरिया की औका़त ही क्या?
सागर भी तेरे आगे छोटा
अभी तूफां है जान लुटेरा।

फिर आयेगा..........


ये तो बस !
हल्का सा.........
बादलों का गुबा़र है
रवि को जिसने आ घेरा,
गर्द-ए-गुबा़र छंट जायेगा
नया प्रभाकर मुसकायेगा
क्षण भर का है ग्रहण घनेरा
तुम ही कहो !
किसने किया सूरज पर डेरा।

फिर आयेगा........



ना घबरा ना डर
बस थोड़ा चल सऺभलकर
ग़र आज ज़रा रूक जायेगा,
तो जीवन भर दौड़ लगायेगा।
बुरा वक्त अब रहा अधूरा
बचाकर अपना सर्वत्र पूरा,
करो वंदना अपने ईष्ट की
वही सच्चा देव है तेरा।

फिर आयेगा.......

फिर पऺक्षी बन उड़ने को
आतुर मन पऺख फैलायेंगे
बिना डरे बिना रूके हम,
हर दिशा को छूने जायेगे।
बन्धन है ये गूँगा -बहरा
तनाव,घुटन,सजा और पहरा,
बस दो पल का ये रैन-बसेरा
कल सारा आकाश है तेरा।

फिर आयेगा.........

फिर शुरू होगा नया कारवां
राहें खुद तुझको बुलायेंगी
नई मंजिलों को छूने की,
तेरी बारी भी आयेगी।
सब्र कर, इस समय से टल
अभी है बुरे वक्त का फेरा,
समय कभी!
इक़ जगह पे ठहरा।

बोलो!

फिर आयेगा नया सवेरा
सारा जहां होगा तेरा।


दिनेश चौधरी " फ़नकार "