...

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कड़ी धूप।
कड़ी धूप में यूं न अपने पैर जलाया करो,
ज़िंदगी बहुत छोटी हैं हर किसी से हाथ मिलाया करो।

यह सूरत,शक्सियत लोग भूल जाते हैं इक पल में,
रोज़ अपनों से मिला करो रोज़ चेहरा दिखाया करो।

लोग नमक लिए फिरते हैं अपनी मुट्ठियों में,
तुम अपने ज़ख्म बड़ी खूबी से छिपाया करो।

अपने क्या,पराए क्या?सब एक से हैं यहां,
तुम मुसाफिर हो बस एक जगह पाँव न टिकाया करो।

प्यार जिससे करते हो उसपर न्योछावर कर दो सब,
जब भी थोड़ा वक्त मिले,उसको यूं ही सताया करो।

किस अमृत की ख़ोज में हो?क्या करोगे पाकर?
ज़िंदगी बड़ा कारवां हैं कभी ज़हर भी आजमाया करो।
© वि.र.तारकर.