...

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वो बस्ती जहां इश्क रहता है !! 🪔
यहां जितने भी टूटे दिल है
गम भुला दूंगा

सुना है पत्थर हो चुके हो
रूला दूंगा

तुम्हे भी आने लगेगी
नींद चैन से

शहर की महोब्बत को भी
कब्र में सुला दूंगा

मेरा तो नाम " दीप " है 🪔
मुझे तो जलना ही है

वो बस्ती जहां रहता है इश्क
जला दूंगा

सुना है कोई अरशों से आयी
हूर है यहां वर्षों से

कोई ना जाते जाते उसे भी
जहर पिला दूंगा

ख्वाहिश तो जवान लड़कों की भी
साथ में होगी दफन

ये लाल नीले पीले रंग मगर
दफना दूंगा

भंवरे जब भी आयेगे
बहारें लायेगे

बगावत होगी बागों में
फूलों को उकसा दूंगा

आज मेरे अन्दर का काफिर
बाहर निकला है

आज गर खुदा भी सामने होगा तो
झुका दूंगा

तुम भी कर दो ये ऐलान
हुस्न से खफा है हम

मैं भी लगे हाथों
बवा कोई फैला दूंगा

तुम मुझे मुशायरो के बहाने से
याद करते रहना

मैं दो चार बार में
सारा वहम मिटा दूंगा

मेरा तो नाम ही " दीप " है
मुझे तो जलना है

वो बस्ती जहां इश्क रहता है
जला दूंगा !!

© दीप