...

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बचपन
बचपन में साईकिल चलाने की ज़िद्द करना
छोटी-छोटी बातों पर भाई बहनों से लड़ना
उस ज़िद्द में और लड़ाई झगड़े में एक सुकून सा था
वो मासूमियत से भरा दिल अफ़लातून सा था
ज़्यादा देर बाहर खेलने पर माँ की दुआओं भरी वो गालियां
एक छत से दूसरी छत पर भागना दौड़ना दोस्तों संग की सब शैतानियां
वो बचपन मेरा दिल की गहराइयों और वक्त के भंवर में बंद हैं
आज बच्चों के सब खेल कूद मोबाइल की दुनिया के पाखंड हैं
साईकिल चलाने की ज़िद्द से हवाई जहाज की ख़्वाहिश में सुकून का आसमान कहीं खो सा गया
माँ की फटकार सुनना तो दूर अब मैं खुद से भी मिल नहीं पाता


© summit_aroraa