...

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एक भ्रम सार
एक भ्रम कितना साथ
जब तक अपना सौपा उसे हर एक साँस
फिर कितना आभास
उतना कि जीवन का सत्य माना
लेकिन कब तक
क्या चलेगा अगले कदम के आने तक
या भटक जायेगा फिर
जीवन भ्रम को एक और अपनी राह जानकर
राह जहाँ एक और पाठ सिखाएगा वो
जहाँ जाना नहीं था वही आकर रुके
सीखे अलग ढंग से एक ओर वही सार

© 🍁frame of mìnd🍁