...

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मैं और मेरी तन्हाई सुख–दुख के साथी...!!!
यह तनहाई मेरी सच्ची साथी है,
जब जीवन में सुख या दुख की राती है।
जब खुशियों का सागर हिलोरें लेता है,
तब भी यह साथ न छोड़ती है, न ही झुकती है।।१।।

जब दर्द की लहरें उठती हैं ऊँची,
तब यह तनहाई मेरी चट्टान बन जाती है।
सुख के पल हो चाहे गम के दिन,
यह साया बन कर मेरे साथ चलती है।।२।।

हर सुबह की किरन में इसकी मुस्कान होती है,
हर शाम की परछाई में इसकी आँच होती है।
यह मेरी हर जीत की गवाह बनती है,
और हार...