...

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पुस्तक
बेज़ुबान ना समझो तुम पुस्तक को
दुनिया भर की बात बताती ,
मित्र बनाये जो भी इनको
उसे उसके मंजिल तक पहुँचाती|

कभी पद्य- गद्य से मन बहलाती
कभी निबंध से सन्देश बताती,
तो कभी नाट्य के रूप...