कुछ श्वेतवर्ण सा..
वह श्वेतवर्ण सा दिव्य वस्त्र,
कर गया विदिर्णित बिना शस्त्र,
इन दृष्टिविहीन से नेत्रों को
कुछ पल में किया जब अस्त पस्त,
इन बेढंगी बातों का क्या
जिन्हें सुन के हुआ कोई...
कर गया विदिर्णित बिना शस्त्र,
इन दृष्टिविहीन से नेत्रों को
कुछ पल में किया जब अस्त पस्त,
इन बेढंगी बातों का क्या
जिन्हें सुन के हुआ कोई...