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हलचल !
आज फ़िर दिल में एक हलचल हुई हैं,
लगता हें फिर से इसे तेरी चाहत हुईं हैं।
बेख़बर मैं इसकी नादानीयों से,
इससे फ़िर आज एक गफलत हुईं हैं।
मेने कहा ख़बरदार,
जो तूने फ़िर उसकी तालाश की हैं।
क्य़ा तुझे बार बार टूटने की आदत हुईं हैं।
© aaru
लगता हें फिर से इसे तेरी चाहत हुईं हैं।
बेख़बर मैं इसकी नादानीयों से,
इससे फ़िर आज एक गफलत हुईं हैं।
मेने कहा ख़बरदार,
जो तूने फ़िर उसकी तालाश की हैं।
क्य़ा तुझे बार बार टूटने की आदत हुईं हैं।
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