प्रेम के पहले चरण का स्पष्ट वर्णन है प्रिय तुम
प्रेम के पहले चरण स्पष्ट वर्णन है प्रिय यह
बयार सा है रंगीन आसमां
मन उत्सुकता में गीत कोई रच रही है
इस पल में जो दिख रही तुम
नव सृजन का आरंभ है
और क्या बोलूं तुम्हे
ये नशा अब चढ़ रहा है
कोड्र सा समन तुम में
तुम स्नेह मुझ पे बरसा रही हो ।
अबोध सा मैं पड़ा
अब रात दिन गुजार रहा हूं
भूख प्यास की नहीं ख़बर
मैं तो ख़्वाबों में तुम्हारे सो रहा हूं
नींद के आखरी चरण में
शीश चूम तुम कर रही प्रेम
श्वाश के आरोह अवरोह से
ये स्पर्श में समझ रहा हूं
प्रेम के पहले चरण का स्पष्ट वर्णन है ...