...

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मेरी याद आएगी क्या??
हार गयी मै क़िस्मत के खेल से ,तू भी आज़ाद है अब मेरी यादों की जेल से,
हाँ सच कहता है तू मै तेरी हो नहीं सकती,
तुझे ये कमी तड़पाएगी क्या?
बोल ना मेरी याद आएगी क्या?

जब टकरा जाएँ हम रास्ते में क़भी,
मै सोचूँगी ये लम्हा ये पल रुक जाए अभी,
तू याद करेगा क्या साथ जो पल बिताए,
वो सारी मस्ती ओर शाम की चाय,
तब मुझे देखकर तेरे चेहरे पे मुस्कान आएगी क्या?
बोल ना मेरी याद आएगी क्या?

बात समझाऊँ तुझे मैं आज थोड़े में,
कैसे देखूँ तुझे किसी ओर के साथ जोड़े में,
जो तुझे किसी ओर के साथ बात करते हुए भी नी देख पाती,
कैसे सहन करे ये बर्बादी,
जब भी तू नाराज़ होगा, वो तुझे मेरी तरह गले लगाकर मनाएगी क्या?
सच बता, वो तेरे ऊपर मुझसे ज़्यादा हक़ जताएगी क्या?
बोल ना मेरी याद आएगी क्या?

जब तू दुनियादारी से थककर किसी दिन अकेला कमरे में बैठा होगा,
दिल पे तेरे पुरानी यादों का पहरा होगा,
कोई पागल थी जो तुझे बहुत चाहती थी,
बच्चों सी ज़िद्द कर हर बात मनवाती थी,
जाने आज कहाँ है कैसी है,
तेरे दिल के किसी कोने से मेरे लिए आवाज़ आएगी क्या?
बोल ना मेरी याद आएगी क्या??

-MK