बाल दिवस ( राधेश्यामी छंद )
सोच रहा इक नन्हा बालक,क्या से क्या मैं करता जाऊँ।
पंख लगाकर उड़ूँ गगन में,या नदियों-सा बहता जाऊँ ।।
बना कागज़ी इक जहाज मैं,निकल पड़ूँ परियों की नगरी।
चॉकलेट के पौधे रोपूँ ,या रबड़ी से भर दूँ गगरी ।।
जहाँ अंक की हो मत चिंता ,ऐसा कोई...