बचपन
अपने अंदर झाँक के देखो,
वो बचपन अब भी जिंदा है।
झल-कपट नहीं है जिसमें,
और ना आज सी निंदा है।।१।।
गुड्डा-गुड़िया, राजा-रानी,...
वो बचपन अब भी जिंदा है।
झल-कपट नहीं है जिसमें,
और ना आज सी निंदा है।।१।।
गुड्डा-गुड़िया, राजा-रानी,...