...

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बचपन
अपने अंदर झाँक के देखो,
वो बचपन अब भी जिंदा है।
झल-कपट नहीं है जिसमें,
और ना आज सी निंदा है।।१।।

गुड्डा-गुड़िया, राजा-रानी,
प्यारे-प्यारे वो खेल मिलेंगे।
हँसना-रोना, मान-मनाना,
देखो अधर-कमल खिलेंगे।।२।।

फिरता रहता गलियों में,
वह सुध-बुध, होश गवाए।
चलो मिले आज उससे,
हमकों अपने पास बुलाए।।३।।

@shivamsarle
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pc:-kidengage