खामोशी
चल किसी शाम
खामोशी
का पर्दा उठाते हैं
दोनों के बीच
जो खामोशी है
उसमें शब्दों की
आग लगाते हैं
तुम चुप मैं
चुप तो ये
मौसम भी
गुमसुम रहता है
चल आज एक
संगीत गुनगुनाते हैं
और इस मौसम को
भी रंगीन बनाते हैं
चल किसी शाम..
© JUGNU
खामोशी
का पर्दा उठाते हैं
दोनों के बीच
जो खामोशी है
उसमें शब्दों की
आग लगाते हैं
तुम चुप मैं
चुप तो ये
मौसम भी
गुमसुम रहता है
चल आज एक
संगीत गुनगुनाते हैं
और इस मौसम को
भी रंगीन बनाते हैं
चल किसी शाम..
© JUGNU