वक्त
ए वक्त! क्या कहानी है तेरी।
ना तू रुकता है, ना ही किसी को रुकने देता है
तेरे ना रुकने पर भी हर कोई आगे बढ़ता नहीं
बढ़ना तो हर कोई चाहता है, पर वक्त नहीं,
क्यू किसी के पास वक्त नही जब तू रुकता नहीं।
ए वक्त! क्या कहानी है तेरी।
सपने हर किसी के होते हैं, पर सपने ही रहते हैं
रुक जाते है वो,वक्त को कोसकर
क्या गलती हैं तेरी...
ना तू रुकता है, ना ही किसी को रुकने देता है
तेरे ना रुकने पर भी हर कोई आगे बढ़ता नहीं
बढ़ना तो हर कोई चाहता है, पर वक्त नहीं,
क्यू किसी के पास वक्त नही जब तू रुकता नहीं।
ए वक्त! क्या कहानी है तेरी।
सपने हर किसी के होते हैं, पर सपने ही रहते हैं
रुक जाते है वो,वक्त को कोसकर
क्या गलती हैं तेरी...