...

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तुम्हारी याद,,,,
मैंने अक्सर तुम्हें सोचा है साहिब,,,

सर्दियों की मखमली गर्माहट में
और मीठी-मीठी सी तुम्हारी मुस्कराहट में

लिहाफ में बेतरतीबी से खुद को समेटे हुए
ठंडे हाथ पैरों को गर्म कपड़ों में लपेटे हुए

शीतल चाँद को खिड़की से निहारते हुए
और साँसों की मादकता में तुम्हें पुकारते हुए

वो नर्म-गर्म सा स्पर्श और अर्ध निंद्रा अवस्था में
महसूस किया है बेहद करीब अक्सर सुप्तावस्था में

सच्ची में 😊 क्या तुमने भी मुझे ऐसे ही महसूस
किया है?????
Namita Chauhan
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