बढ़ती उम्र का सच
बढ़ रही उम्र,,,
दिन ब दिन उम्र हमारी बढ़ रही,,,
पर अरमान वहीं हैं रुके हुए ।
दिन रात खटकते आंखों में,,,
जैसे शोर मचाते पत्ते सूखे हुए।
सुबह से लेकर शाम तक,,,
हर शख्स भागता रहता है।
जितना मर्जी मिल जाये जिंदगी में
फिर भी कुछ न कुछ काश में रह जाता हैं।
बचपन...
दिन ब दिन उम्र हमारी बढ़ रही,,,
पर अरमान वहीं हैं रुके हुए ।
दिन रात खटकते आंखों में,,,
जैसे शोर मचाते पत्ते सूखे हुए।
सुबह से लेकर शाम तक,,,
हर शख्स भागता रहता है।
जितना मर्जी मिल जाये जिंदगी में
फिर भी कुछ न कुछ काश में रह जाता हैं।
बचपन...