...

5 views

प्रहलाद का यकीन
हिरण्यकश्यप का ताज, पर दिल में खोट,
प्रहलाद की आस्था, बनी उसकी चोट।
सत्य और अहंकार का ये रण सजा,
हैरत की बात नहीं, सच ने फिर राज करा।

हिरण्यकश्यप बोला, "मैं हूं भगवान, मान ले तू,
मेरे आगे झुक, वरना अंजाम, जान ले तू"
प्रहलाद मुस्काया, बोला सच्ची बात,
"सत्य है नारायण, न तू है, न तेरा ताज!"

"अपने बल पे इतराना छोड़,
तेरे अहंकार ने ही तुझे बर्बाद करेगा।
भगवान हर जगह, दीवारों में देख,
तेरी सत्ता का खेल, अब होगा फेल।"

"सत्य पर चलो झूठ से बचे,
प्रहलाद की बात समझ, हृदय साफ करो।
नारायण की लाठी, न आवाज करती,
पर...