स्त्री...🌿
पढ़ा हैं कभी
उसकी चुप्पी की दहलीज पर बैठ
शब्दों की प्रतिक्षा में उसके चेहरे को
🌿🌿
उसके अंदर वंशबीज बोते
क्या तुमने कभी महसूस किया है
उसकी फैलती जड़ों को अपने भीतर
🌿🌿
क्या तुम जानते हों
एक स्त्री के समस्त रिश्तों का...
उसकी चुप्पी की दहलीज पर बैठ
शब्दों की प्रतिक्षा में उसके चेहरे को
🌿🌿
उसके अंदर वंशबीज बोते
क्या तुमने कभी महसूस किया है
उसकी फैलती जड़ों को अपने भीतर
🌿🌿
क्या तुम जानते हों
एक स्त्री के समस्त रिश्तों का...