एक सफर सनसनाती हवाओं के बीच...!!!
चल पड़े हम एक सफर पर, सनसनाती हवाओं के बीच,
मिट्टी की खुशबू में, बसा था प्रकृति का संगीत।
हरे-भरे पेड़ों की छाँव, झूलते थे पत्ते नाचते हुए,
नदियों का कलकल, मानो गीत गाते हुए।।१।।
आकाश की नीली चादर, बादलों का खेल निराला,
सूरज की किरणों से, दमकता था हर पल का उजाला।
पथरीली राहों पर, कदमों के...
मिट्टी की खुशबू में, बसा था प्रकृति का संगीत।
हरे-भरे पेड़ों की छाँव, झूलते थे पत्ते नाचते हुए,
नदियों का कलकल, मानो गीत गाते हुए।।१।।
आकाश की नीली चादर, बादलों का खेल निराला,
सूरज की किरणों से, दमकता था हर पल का उजाला।
पथरीली राहों पर, कदमों के...