...

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खयाल...
मेरी हर खुशी की वजह है तू....
मेरे हर गम का राज है तू ...
मेरी हर पहेली का सूलझा हुआ पैगाम है तू ...
तूझे देखू हर बार मैं जब भी हो तुझसे रबरू...
बस तू एक बार पलट कर देख मुझे ...
मुकम्मल हो मेरी सारी खुशियां ...
चाहे खोई रहू इन किताबों में मैं...
पर जब भी तेरा जिक्र हो...
पढू मैं तुझे हर -बार...!
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