...

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हसीन ख्वाब
हीरो को तुम कांच समझकर
हमको तुम यूं खांक समझकर
फेंक दिया मोतियों को भी तुमने
ओस के बूंदों के जस समझकर
गले लगाया उन छलियो को
रेतो को पहाड़ समझकर
तोड़ लेंगे एक दिन वो तुमको
एक खूबसूरत गुलाब समझकर
देखो सबसे दूर तुम रहना
खुद को गहरा राज समझकर
हम भी तुमको अब भूल जायेंगे
एक हसीन ख्वाब समझकर।
© अनुराग . सहचर