चांद को देखो चकोरी के नयन से।
रचनाकार: आरसी प्रसाद सिंह
चाँद को देखो चकोरी के नयन से
माप चाहे जो धरा की हो गगन से।
मेघ के हर ताल पर
नव नृत्य करता
राग जो मल्हार
अम्बर में उमड़ता
आ रहा इंगित मयूरी के चरण से
चाँद को देखो...
चाँद को देखो चकोरी के नयन से
माप चाहे जो धरा की हो गगन से।
मेघ के हर ताल पर
नव नृत्य करता
राग जो मल्हार
अम्बर में उमड़ता
आ रहा इंगित मयूरी के चरण से
चाँद को देखो...