प्रकृति और प्रेम
अंतर भी है, अचरज भी है
ये बिन बादल, नभ गरजत भी हैं
लघु-लघु सरिता की बूंदों में
कल-कल,छल-छल प्रवहत भी हैं।।
सूरज भी हैं, चन्दा भी...
ये बिन बादल, नभ गरजत भी हैं
लघु-लघु सरिता की बूंदों में
कल-कल,छल-छल प्रवहत भी हैं।।
सूरज भी हैं, चन्दा भी...