...

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संघर्ष
विश्व पटल पर कैसी ये संकट की घडी आयी है ,
दुनिया में चारो ओर बस मची त्राहि - त्राहि है,
रंगमंच के नाटक जैसा ,
दुनिया दो हिस्सों बँट आयी है ,
सही - गलत से कुछ नहीं लेना देना ,
बस अपने अस्तित्व की लड़ाई है !!!

आती - जाती इन हवाओं में ,
बस नफरत ही बह के आयी है ,
सही - गलत से कुछ नहीं लेना - देना ,
बस अपने वर्चस्व की ये लड़ाई है !!!

रक्त बहा है दोनों तरफ ,
चीख - पुकार मच आयी है,
इस अस्तित्व की लड़ाई में -
केवल निर्दोषों ने ही जान गवाई है !!!

जिनके हक के लिए हो रही ये लड़ाई है ,
उन्होंने तो बस शान्ति की ही ख़्वाहिश फ़रमाई है ,
कैसी विडम्बना है समय की ,
ये कैसी रक्त से सुसज्जित जिंदगी उन्होंने पायी है ,
सही - गलत से कुछ नहीं लेना - देना ,
बस अपने अस्तित्व की लड़ाई है !!!!!
Neha
© NehaV