मैं
मैं अब टूट चुकी हूं
थक गई हूं इस ज़िंदगी की
लड़ाई से इसलिए खुद को
एकांत में सौंप चुकी हूं मैं
किसी ने दिल तोड़ा तो
किसी ने विश्वाश....
इसलिए अब लोगों से
दूर रहती हूं मैं
हिम्मत नहीं मुझमें अब
फिर उठने की आखिर क्यूं
अपनी जिम्मेदारियों से
भाग रही हूं मैं
ना जानें कितने टुकड़े
हो चुके हैं मेरे इस वजह से
खुद को सिमेट नहीं पा
रही हूं मैं
नफरत हो रही है
इतनी खुद से मुझे
कि अब खुद को ही
कोसती हूं मैं
लगा ले मौत खुद मुझको गले
अब बस यहीं ख्वाहिश
कर रही हूं मैं..!!!
थक गई हूं इस ज़िंदगी की
लड़ाई से इसलिए खुद को
एकांत में सौंप चुकी हूं मैं
किसी ने दिल तोड़ा तो
किसी ने विश्वाश....
इसलिए अब लोगों से
दूर रहती हूं मैं
हिम्मत नहीं मुझमें अब
फिर उठने की आखिर क्यूं
अपनी जिम्मेदारियों से
भाग रही हूं मैं
ना जानें कितने टुकड़े
हो चुके हैं मेरे इस वजह से
खुद को सिमेट नहीं पा
रही हूं मैं
नफरत हो रही है
इतनी खुद से मुझे
कि अब खुद को ही
कोसती हूं मैं
लगा ले मौत खुद मुझको गले
अब बस यहीं ख्वाहिश
कर रही हूं मैं..!!!