ज़िन्दगी और स्याही
स्याही की तरह ही है ज़िन्दगी।
कभी रुक-रुक कर चलती है,
तो कभी सरपट दौड़ जाती है।
कभी फिसलने सी लगती है,...
कभी रुक-रुक कर चलती है,
तो कभी सरपट दौड़ जाती है।
कभी फिसलने सी लगती है,...