...

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शिखर पर पहुंच कर
धूप में जलते पावों को,
उन बेबस से सवालों को,
उस मुंह पर बन्द हुए दरवाजों को,
जागी रोयी रातों को,
उन कंधों को,
उन सीढ़ियों को ,
उस तकलीफ में साथ दिए हाथों को,
उस मददत को,
उस मेहनत को,
कभी ना भूलना तुम
शिखर पर पहुंच कर।।