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कोई हमसफ़र होता
गैरों को अपना बनाना आसान नहीं होता
कोई हमसफ़र होता वो रब से कम नही होता
हाँ माँगा रब से साथ उनका प्यार के हक से
आज दूजा दिल मे कोई उनसे ज़्यादा नही होता
हाँ करती हूँ.. मैं प्यार, उन्हें हद से ज़्यादा ही
एक पलक झपकने की भी अब दूरी वो नही होता
महक़ उठी उनकी संगिनी साथ से कस्तूरी बन
उनके बिना तो अब इश्क़-ए-गुल गुलशन नही होता
मैं तितली उनके बगियाँ की खुशियाँ फैलाए हूँ
वो भी अधूरा मेरे बिन, चंद लम्हों से भी दूर नही होता
कोई हमसफ़र होता वो रब से कम नही होता
हाँ माँगा रब से साथ उनका प्यार के हक से
आज दूजा दिल मे कोई उनसे ज़्यादा नही होता
हाँ करती हूँ.. मैं प्यार, उन्हें हद से ज़्यादा ही
एक पलक झपकने की भी अब दूरी वो नही होता
महक़ उठी उनकी संगिनी साथ से कस्तूरी बन
उनके बिना तो अब इश्क़-ए-गुल गुलशन नही होता
मैं तितली उनके बगियाँ की खुशियाँ फैलाए हूँ
वो भी अधूरा मेरे बिन, चंद लम्हों से भी दूर नही होता
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