दिल के अल्फाज
आँखें मानी झील सी ठहरी हुई हीं
मगर दिल में रेत का भंवर उठ खड़ा हुआ है,
चेहरे पे हर वक्त एक नूर सा झलक रहा
पर मन के कोने में आज भी शीतयुद्ध छिड़ा हुआ है!
मगर दिल में रेत का भंवर उठ खड़ा हुआ है,
चेहरे पे हर वक्त एक नूर सा झलक रहा
पर मन के कोने में आज भी शीतयुद्ध छिड़ा हुआ है!
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