बिरहा
दिल जोग लग जावैं री,
सुन रोग लग जावैं री,
बिरहा में मर जाता
दिल सोग लग जावैं री।
टप टप जे बूँदा बरसी तो
अखियाँ बैरन फिर तरसी क्यूँ,
रग रग जल जाती है
और तरस ना जावैं री।
साजन मोरा निर्मोही रे
क्यूँ की मनवा की चोरी रे,
उमड़ै हैं बदरा सा
पर बरस ना जावैं री।
दिल जोग लग जावैं री-------
©jignaa___
सुन रोग लग जावैं री,
बिरहा में मर जाता
दिल सोग लग जावैं री।
टप टप जे बूँदा बरसी तो
अखियाँ बैरन फिर तरसी क्यूँ,
रग रग जल जाती है
और तरस ना जावैं री।
साजन मोरा निर्मोही रे
क्यूँ की मनवा की चोरी रे,
उमड़ै हैं बदरा सा
पर बरस ना जावैं री।
दिल जोग लग जावैं री-------
©jignaa___