...

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भूख

एक रोटी के टुकड़े को तड़पे वो नादान है.....
भूख का इलाज नहीं पर देश यह महान है.....
काहे दी गरीबी और लाचारी के बेहाल है.....
मौत आगे है खड़ी वो हो रहा निहाल है.....
भूख से लड़त वहा पर देखो वो कंगाल है....
एक रोटी के टुकड़े को तड़पे वो नादान है.....

वाह रे ओ ख़ुदा तूने बक्सी कैसी रेहमत है...
मेरे पास कुछ भी नहीं और दुसरो की बरकत है.....
कोसता हु खुद को मैं भी वाह रे कैसी क़िस्मत है....
मेरे पास कुछ भी नहीं दुसरो की बरकत है.....

मौत सामने खड़ी है कितना मैं निहाल हु....
तीन दिन से भूखा हु मैं कितना बेजान हु....
काहे दी गरीबी और लाचारी के बेहाल हु.....
मैं कितना कंगाल हु मैं कितना कंगाल हु.....

रो रहा वो मुन्न मेरा भूख से बेहाल है....
एक रोटी के टुकड़े को तड़पे वो नादान है.....
जिंदगी गरीबो की तो मौत के सामान है.....
भूख का इलाज नहीं पर देश यह महान है....
नेता मेरा कहता है की सब एक ही समान है....
उनका हो सम्मान और हमारा अपमान है.....

गरीबी से लाचारी से वो कितना परेशान है....
वो कितना कंगाल है वो कितना कंगाल है....

सुक्रिया करे है हम फोटू वाले लोगा का....
रोटी देके जात है ओर फोटू भी लगात है....
जिंदगी हमार तो बस मौत के समान है....
भूख से तड़प रही वो मैया बेजान है.....

एक रोटी के टुकड़े को तड़पे वो नादान है.....
वो कितना कंगाल है वो कितना कंगाल है.....