गुलाब तू अमर रहे
कभी किसी का होंठ बना
कभी किसी का गाल
कभी प्यार की निशानी
कभी धोखे की मिसाल
कभी बिस्तर पर सजा
और कभी फर्श पर
कभी हाथो से सहलाया गया
तो कभी गया पाव से रोंध
कभी किसी के आने में सज़ा
और कभी किसी के जानें में
जब साथ रहा, या कोई छोडा गया
मैं मोड़ा गया ,जब कोई दिल तोड़ गया
पर कोई मुझसे कभी रूठा नहीं
कोई ऐसा नहीं जो फिर से उठा नहीं
एक बार फिर हाथ में गुलाब है
उसे फिर किसी की आस हे
वो फिर से मुझे सहलाएगा
फिर से मजनू बन जाएगा
में फिर निशानी बन जाऊँगा
उसकी महबूबा को महकाउंगा
उसकी कहानी का हिस्सा अहम बन जाऊँगा
दिल को पुनः गुलाब बनाऊँगा
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