...

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दो प्रेमियों को मिलते देखा है।


जब शाम हो रही थी, अपने ही गति पर,
दो प्रेमियों को मिलते देखा है।
आमने- सामने तिरछी नैनो से
मुस्कान से पुलकित होकर
जैसे खिले हो सरोवर में कमल
नैनो से बाते करते देखा है।
दो प्रेमियों को मिलते देखा है।

रवि की किरणें निकली हुई थी
चलती थी शीतल समीर
केश बिखर रहे थे उनके
हवाएं घुंघरू बजाती थी
सौंदर्य मुखड़ा पर निखार उनके
जैसे सुबह पुष्प खिल जाते
पुष्पों को खिलते देखा है।
दो प्रेमियों को मिलते देखा है।

ऋतु वसंत मनोहरम था
स्वच्छ मौसम आँख दिखा रहा था
प्रणय- कलह हो रहा था
खूबसूरती का छवि लेकर
बाते हो रही थी प्रेम के
उनकी नज़रे मचलती थी
दोनों के हाथ में चॉकलेट था
एक दूसरे को खिला रहे थे,
अति सुन्दर छवि था दोनों के,
उनके होंठो के मुस्कान होकर,
चली कुछ देर बातें
हम आश्चर्यचकित हो गए,
केशों को सुलझाते देखा है।
दो प्रेमियों को मिलते देखा है।

कुछ कहती थी उनकी जुबां
लेकिन हम नहीं सुन पाए
लिपट गए प्रेम के डोरे में एक दूसरे,
दोनों निमेष होकर
देखते रहे हम भी उनको
लगता है वो हमें ही देखकर शर्मा गए,
दोनों को आंचल में ढकते देखा है।
दो प्रेमियों को मिलते देखा है।

लाली छाई हुई थी फिजाओं में
चमक रोशनी में मिल गए थे दोनों,
जैसे लग रहे हो इन्द्रधनुष
कुछ- कुछ कानों में फुसफुसा रहे थे दोनों
वो मन ही मन आनंदमय होकर,
एक दूसरे को देख रहे थे
सांसे उनकी थम गई थी हमें देखकर,
लगता है हमें ही देखकर कुछ सोच रहे थे।
कुछ ही क्षण में प्रकृति अपना रंग बदल रहा था
गायब हो रही थी रवि के चमक रोशनी,
उलझ रहे थे वो दोनो प्यार के परिंदे
बता रहे थे एकाएक कहानी
उन दो परिंदे की कहानी बताते देखा है।
दो प्रेमियों को मिलते देखा है।

कुछ देर हुई तब! अपने,
स्थल से वापस लौटा
कहीं दिखाई नहीं पड़ी उनके ही दृश्य
हो चले वो विलुप्त दिशा की ओर
लेकर प्रेम डोर अपने
काफी अंधेरा हो गया था,
पतंगे दल उमड़ रहे थे, उसी अंधेरा में
हम मन ही मन सोचने लगे
कहां गए वो दोनो
तब! थोड़ा ही दिखाई पड़ा उनकी झलक
वो दोनो जाने ही वाले थे,
ऐसी बाते एक दूसरे कहते थे
इतना स्नेह भरा था उन दोनों में
घर जाने का मन नहीं करता था।
जैसे वन में मोर - मोरनी साथ में, ऐसा लगा हमें
कुछ कहते वो , तो कुछ वो सुनते
एक दूसरे के प्रेम भाव में मग्न रहते
उनकी बाते हमारी कानों में सुनाई पड़ी
उनकी प्रेम बाते थम ना रही,
प्रेम के रंगो में मिलते देखा है।
दो प्रेमियों को मिलते देखा है।
❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️

लेखक/कवि- मनोज कुमार

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