...

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पूर्णता
हर किसी को ''पूर्णता चाहिए
और प्रिय है साहस
किसी को नही भाती कमीया
और फिर...
हर कोई चाहता है उस 'टूटते' तारे को टूटता हुआ देखना;
बिना जाने के टूट जाता है वो,
हर किसी की खुशी पूरी करने की नाकाम कोशिश मे¡
और तब किसी को किमत नही होती उस कोशिश की उस साहस की ...
क्योकि पूर्णता ही माप है पूर्ण अस्तित्व की ।
हर किसी को 'पूर्णता चाहिए . ..
और प्रिय है साहस।
किसी को नही भाती कमीया
और फिर...
हर काई चाहता है उस 'टूटते' तारे को टूटता हुआ देखना.....सिर्फ अपने लिए..
बिना जाने के टूट जाता है वो,
हर किसी की खुशी पूरी करने की नाकाम कोशिश मे¡
और तब किसी को किमत नही होती उस कोशिश की उस साहस की ...
क्योकि पूर्णता ही माप है पूर्ण अस्तित्व की । चाहिए और प्रिय है साहस...
किसी को नही भाती कमीया ...
और फिर...
हर काई चाहता है उस 'टूटते' तारे को टूटता हुआ देखना ।
बिना जाने के टूट जाता है वो हर किसी की खुशी पूरी करने की नाकाम कोशिश मे¡
और तब किसी को किमत नही होती उस कोशिश की उस साहस की ...
क्योकि पूर्णता ही माप है"यहा" पूर्ण अस्तित्व की ।