...

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शुकराना
दिल-ए-रूह की ये ख़्वाहिश‌,ये दास्तान हसीं हो जाती,
हसरत का पैमाना छलकता, ये आँख भी नम हो जाती,

फिर सोचता हूँ कभी, ये कौन सा मुकाम आ गया हूँ मैं,
समझा मैं अदा,न...