मौन दीवारें और मेरा कल
किस से कहें की अब कहां जाना है,
ये दरों दीवार ही अपना ठिकाना है ।
वो नन्हें हौशलों की उड़ान, वो जुबान अब नहीं,
वो ऊंचा सर और सर पे आसमां अब नहीं,
वो इमली के पेड़ अब नहीं,
वो ईंटों के ढेर अब नहीं,
चेहरे पर हँसी अब नहीं,
दिलों में प्यार नहीं,
लोग नहीं,
कोई नहीं ।।
ये दीवारें भी बोल उठती है,
मेरी कायरता देख कर,
मेरा डर देख कर,
मेरा टूटा मन देख कर,
पर अब मैं लड़ूंगा नही,
उठ कर चलूंगा नही,
बैठ कर तस्वीर में रंग भरूंगा,
रूखा ही सही, सुखा ही सही,
पर मैं किसी कहूंगा नही,
और मैं मरूंगा नही ।।
मेरी दीवार मेरा घर न सही,
मेरे घर में दीवार तो है,
आज न हुआ तो न हुआ,
कल तो है।।
© Gautam Kumar
ये दरों दीवार ही अपना ठिकाना है ।
वो नन्हें हौशलों की उड़ान, वो जुबान अब नहीं,
वो ऊंचा सर और सर पे आसमां अब नहीं,
वो इमली के पेड़ अब नहीं,
वो ईंटों के ढेर अब नहीं,
चेहरे पर हँसी अब नहीं,
दिलों में प्यार नहीं,
लोग नहीं,
कोई नहीं ।।
ये दीवारें भी बोल उठती है,
मेरी कायरता देख कर,
मेरा डर देख कर,
मेरा टूटा मन देख कर,
पर अब मैं लड़ूंगा नही,
उठ कर चलूंगा नही,
बैठ कर तस्वीर में रंग भरूंगा,
रूखा ही सही, सुखा ही सही,
पर मैं किसी कहूंगा नही,
और मैं मरूंगा नही ।।
मेरी दीवार मेरा घर न सही,
मेरे घर में दीवार तो है,
आज न हुआ तो न हुआ,
कल तो है।।
© Gautam Kumar