...

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बस...
फ़िक्र उन्हें बहुत है हमारी।
फ़िक्र हमें बहुत है उनकी।
बस....
बेफिक्र है हमारी बातों की।
इस बेफ़िक्री के आलम में
हम उन्हें खो ना बैठे।
खो तो चुके है खुद उनमें।
खुद को पायेंगे कैसे।
बस...
यही दुआ है रब से
वो खुद को ना खो बैठे हम‌में।