ज़ख्म
"काली रातों ने बताया हमें ,
टूट के वो पत्ता आज भी हरा है,
कतरा जो ज़मीं पर गिरा तो जाना,
इश्क़ का ज़हर...
टूट के वो पत्ता आज भी हरा है,
कतरा जो ज़मीं पर गिरा तो जाना,
इश्क़ का ज़हर...