दिल
जरा से मुशकुराए वो,हम काफिर हो गए उनके।
की जो ख्वाब थे मेरे,मुसाफ़िर हो गए उनके।
हमारी नींद भी अब तो,हमारा साथ न देती।
हमारी रात भी अब तो, मुनासिब हो गई उनकी।
हमारा राब्ता तो फिर भी जमीं से है।
फलक पर रहने वाले भी काफिर हो गए उनके।
की जो ख्वाब थे मेरे,मुसाफ़िर हो गए उनके।
हमारी नींद भी अब तो,हमारा साथ न देती।
हमारी रात भी अब तो, मुनासिब हो गई उनकी।
हमारा राब्ता तो फिर भी जमीं से है।
फलक पर रहने वाले भी काफिर हो गए उनके।