...

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दिल
जरा से मुशकुराए वो,हम काफिर हो गए उनके।
की जो ख्वाब थे मेरे,मुसाफ़िर हो गए उनके।
हमारी नींद भी अब तो,हमारा साथ न देती।
हमारी रात भी अब तो, मुनासिब हो गई उनकी।
हमारा राब्ता तो फिर भी जमीं से है।
फलक पर रहने वाले भी काफिर हो गए उनके।