...

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~ संवर जाऊ ~
तुम्हारे नाम का सोलह श्रृंगार पहनकर
मैं हमेशा तुम्हारी सुहागन कहलाऊँ
चूड़ी और माथे की बिंदीयाँ तो बस नाम की है
मैं तो सिर्फ तुम्हारी मुस्कुराहट से संवर जाऊँ ,

तुम्हारे लिए इस दुनियां को तो क्या
मैं तो यमराज को भी चुनौती दे आऊँ
तुमसे पहले परेशानियाँ मुझपर आए
मैं तुम्हारे प्यार में साजन किसी भी हद से गुजर जाऊँ,

तुम थोड़ा सोच समझ कर मुझसे रूठना
मैं कही तुम्हारी बेरुखी से न बिखर जाऊँ
तुम्हारा प्यारा एहसास ही काफी है मुझे जीने के लिए
अगर सामने आओ तो मैं पूरी तरह निखर जाऊँ,

जीवन के डगमगाते सफ़र में
तुम्हारा साथ रहे तो मैं सच में संभल जाऊँ
माना अपने नादानियों से तुमको परेशान कर देती हूँ
अगर तुम प्यार से समझाओ तो मैं सच में सुधर जाऊँ।
© मेरे अल्फाज़....🦋