हमारे बोल
हमारे बोल अंतर्मन में समाए है
कभी बैचन में तकदीर बदल है
खुद सादगी में गुमसुम बैठे है
यकीनन में हुनर बोलते है
इंतजार में अक्सर बेकरार है...
कभी बैचन में तकदीर बदल है
खुद सादगी में गुमसुम बैठे है
यकीनन में हुनर बोलते है
इंतजार में अक्सर बेकरार है...